• January 9, 2025

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स्टार्ट-अप क्षेत्र की स्थिरता के लिए शीघ्र उद्योग संपर्क पर जोर

  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्ट-अप क्षेत्र की स्थिरता के लिए शीघ्र उद्योग संपर्क पर जोर दिया
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अटल नवाचार मिशन 2.0 विविध सहयोग के साथ नवाचार प्रक्रिया तंत्र को बढ़ावा देगा
  • अटल नवाचार मिशन 2.0 की रचनात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हाइब्रिड ढांचे का आह्वान
  • केंद्रीय मंत्री ने स्टार्ट-अप प्रभाव के मूल्यांकन और आजीविका सृजन को बढ़ावा देने के लिए आकांक्षात्मक ढांचे का प्रस्ताव दिया
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रव्यापी समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए भाषा-तटस्थ नवाचार का समर्थन किया

नई दिल्ली, 08 जनवरी। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज स्टार्टअप्स क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उद्योग जगत को इससे शीघ्र जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने एक ऐसे सहयोगात्मक वित्तपोषण दृष्टिकोण पर जोर दिया जो नवाचार में जवाबदेही और साझा जिम्मेदारी को बढ़ावा दे। उन्होंने कहा, “एक संयुक्त निवेश मॉडल, जहां उद्योग और सरकार मिलकर काम करते हैं, आपसी प्रतिबद्धता की गारंटी देता है और सहयोग तथा साझा हिस्सेदारी पर आधारित एक नवाचार प्रक्रिया तंत्र को बढ़ावा देता है।”

डॉ. सिंह ने आज नीति आयोग में अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) की उच्च स्तरीय समिति की बैठक के दौरान एक मजबूत और समावेशी नवाचार तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने एआईएम 2.0 को उद्यमिता को बढ़ावा देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में विस्तार करने और स्टार्ट-अप को बनाए रखने तथा भारत के नवाचार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग संबंधों को एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

डॉ. सिंह ने एआईएम 1.0 के तहत प्रयासों की सराहना करते हुए इसकी सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद शुरू की गई सक्षम नीतियों को दिया। उन्होंने कहा, “हमारे पास हमेशा से प्रतिभा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नीतियों ने बदलाव को गति दी है, जिससे एआईएम जैसी पहल को बढ़ावा मिला है।”

एआईएम 2.0 के मंत्रिस्तरीय ढांचे में परिवर्तन पर केंद्रीय मंत्री ने एक ऐसे ढांचे का आह्वान किया जो मिशन की बौद्धिक और रचनात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखे। उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसे मॉडल की आवश्यकता है जो नवाचार को बाधित किए बिना प्रयासों को पूरक बनाए,” उन्होंने अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी जैसे अन्य क्षेत्रों में अपनाए गए हाइब्रिड ढांचे के समान सुझाव दिया।

केंद्रीय मंत्री ने प्रकाशन प्रभाव, स्टार्ट-अप व्यावहार्यता और आजीविका सृजन जैसे प्रमुख सूचकांकों के आधार पर स्टार्ट-अप की रेटिंग के लिए एक आकांक्षात्मक ढांचे की आवश्यकता पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, “हमारे नवाचार तंत्र को अंततः आजीविका सृजन में योगदान देना चाहिए नहीं तो  इसका प्रभाव सीमित रहेगा।”

डॉ. सिंह ने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित जीन थेरेपी परीक्षणों जैसी हाल की सफलताओं का उल्लेख किया। उन्होंने उच्च-मानक प्रकाशनों के माध्यम से वैश्विक मान्यता के महत्व पर जोर दिया, तथा भारतीय शोधकर्ताओं से आत्मविश्वास एवं विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों को लक्ष्य बनाने का आग्रह किया।

N03.जेपीजी

केंद्रीय मंत्री ने समावेशिता का आह्वान करते हुए नवाचार के लिए भाषा-तटस्थ दृष्टिकोण पर जोर दिया, जिसमें भारत के विविध भाषाई परिदृश्य में समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने हितधारकों से अनुवाद संबंधी चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया, जो अनजाने में क्षेत्रीय प्रतिभागियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

अपने समापन भाषण में डॉ. सिंह ने एआईएम के भविष्य के बारे में आशा व्यक्त की और एआईएम 3.0 और उससे आगे की दिशा में प्रगति की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, “नवाचार की हमारी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। मजबूत साझेदारी और विस्तारित तंत्र के साथ, हमारा लक्ष्य भारत को नवाचार में वैश्विक दिग्गज के रूप में स्थापित करना है।”

एआईएम उच्च स्तरीय समिति की बैठक में नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के दिग्गजों और शैक्षणिक विशेषज्ञों ने भारत में एक जीवंत और टिकाऊ नवाचार प्रक्रियात्मक तंत्र को बढ़ावा देने के लिए साझा प्रतिबद्धता के साथ एआईएम 2.0 की योजना पर विचार-विमर्श किया।

 

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