भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बाकायदा यह ऐलान किया कि फिलीस्तीन-इजरायल समस्या पर भारत के पुराने रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और भारत अब भी फिलीस्तीनियों के अलग देश के पक्ष में है.
इजरायल और हमास के बीच पिछले दस दिनों से जंग जारी है. 7 अक्टूबर की सुबह इजरायल पर हमास के आतंकियों ने रॉकेट, पैराग्लाइडर्स और कई अन्य तरीकों से हमला किया था. इस हमले में सैकड़ों इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी गयी. हमले के दौरान हमास ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं. लाश को लेकर मजहबी नारे लगाती आतंकियों की टुकड़ी घूमती रही, लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग करती रही और उसके बाद दर्जनों इजरायलियों को बंधक बनाकर भी ले गयी. इजरायल ने पलटवार किया और आज 9वें दिन भी युद्ध जारी है. इजरायल के हमले में गाजा पट्टी पूरी तरह तबाह हो गयी है और अब पश्चिम एशिया का यह पूरा इलाका ही तनाव के चरम पर है.
फिलीस्तीन पर भारत का रुख वही
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर हमास के आतंकी हमले की निंदा की थी और लिखा था कि भारत इजरायल के साथ खड़ा है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बाकायदा यह ऐलान किया कि फिलीस्तीन-इजरायल समस्या पर भारत के पुराने रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और भारत अब भी फिलीस्तीनी जनता के स्व-निर्णय का अधिकार उनको देने के पक्ष में है, भारत ने हमास के आतंकी हमले की निंदा की है और दुनिया के तमाम अमनपसंद लोकतांत्रिक मुल्कों ने ऐसा ही किया है, ईरान जैसे अपवाद को छोड़कर. दूसरा, आतंक के खिलाफ होने का मतलब ये नहीं है कि फिलीस्तीन पर हमारा स्टैंड बदला है. भारत का जो स्टैंड पहले था, अब भी वही है. इसमें किसी शक की कोई गुंजाइश नहीं है.
इसके साथ ही एक और बात को समझने की जरूरत है. हमास का मतलब फिलीस्तीन नहीं होता है. खुद फिलीस्तीनी अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बातचीत के दौरान यह बात कही है. हमास एक आतंकी संगठन है और उसे खुद फिलीस्तीनी अथॉरिटी के राष्ट्रपति भी नहीं चाहते. ध्यान रखने की बात यही है कि भारत ने हमास के आतंकवाद का विरोध किया है, इजरायल के दुख में उसके साथ शरीक है, लेकिन फिलीस्तीन पर उसकी नीति कतई नहीं बदली है.