• September 22, 2024

Samachar India Live

India's Most Authentic Hindi News Portal

बैटरी वाली गाडियों का भविष्य उज्ज्वल, पर चिंताएं भी हैं बहुत!

BySamachar India Live

Mar 9, 2024

विश्व पटल पर भारत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की उत्पत्ति और प्रयोग में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। जहाँ भारत में आज 36 लाख से अधिक बैटरी चालित वाहन उपयोग में हैं, वहीँ भारत में इन वाहनों की उत्पत्ति में भी विश्व ख्याति प्राप्त कर रहा है। भारत का बाज़ार घरेलु और विदेशी वाहन उत्पादक दोनों के लिए ही एक आकर्षण बिंदु है, जिसके चलते आज वाहन उत्पादन, चार्जिंग के संयत्र, बैटरी एवं मोटर उत्पादन इत्यादि इलेक्ट्रिक वाहन सम्बन्धी सभी क्षेत्रों में बड़े स्तर पर उद्योग और रोज़गार के अनेकों अवसर भारत के प्रतिभाशाली युवा के लिए उपलब्ध हैं, और जिसका वे भरपूर लाभ भी ले रहे है।

विषव्य विख्यात कंसल्टिंग संस्था एर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के अनुसार आगामी समय में भारत में इस उद्योग से सीधे तौर पर 1 करोड़ और सहयोगी उद्योगों में 5.5 करोड़ से अधिक रोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे। यही कारण है के भारत सरकार ने नीतिगत रूप से बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देने के लिए अनेकों कदम उठाये हैं। चाहे FAME सब्सिडी के माध्यम से आर्थिक सहायता हो या फिर PLI स्कीम तथा सहायक कर निति के माध्यम से बैटरी और वाहन के उत्पादन को बढ़ावा देना हो, शासन तंत्र मांग और आपूर्ति दोनों ओर से समर्थनरत है।

इस सब में बैटरी के उत्पादन में वैश्विक स्तर पर परिस्थितियाँ अत्यंत ही प्रगतिशील हैं – आज बैटरी की कीमत 139 डॉलर प्रति kWh पर आ गिरा है, जो आज से एक दशक पूर्व 780 से भी अधिक था। मार्किट शोध के लिए विख्यात ब्लूमबर्ग नई एनर्जी फाइनेंस (BNEF) के अनुसार यह संख्या वर्ष 2030 तक आते आते 80 डॉलर प्रति kWh तक गिरने का अनुमान है। यह आंकड़ा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे EV-Ready India डैशबोर्ड का अनुमान है के भारत में इसकी मांग आज के 3 GWh से बढ़कर 2030 में 30 GWh पार करेगी, जिसमें बैटरी चालित वाहन की हिस्सेदारी 8GWh से अधिक होगी।

दामों में गिरावट अगर भारत के लिए अच्छी खबर है, तो इनसे जुड़े मुख्य खनिजों का आयात भारत के लिए अत्यंत संवेदनशील विषय है। भारत बैटरी बनाने के लिए इस समय का मुख्य खनिज लिथियम के विषय में आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। 2022-23 में भारत में 23,171 करोड़ रूपए के लिथियम का आयात किया था। वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी के साथ साथ अन्य उपयोगों के कारण इस आयत में 2021-22 के बनास्पद 69 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गयी थी। इसमें चिंता की एक और परत इस विषय से चढ़ती है के 90 प्रतिशत से अधिक आयात मात्र 3 देश – चीन, होन्ग कोंग, और दक्षिण कोरिया से उत्पन्न होते हैं। चीन के साथ अस्थिर संबंधों के चलते भारत निकटतम भविष्य में पडोसी प्रतिकूल राष्ट्रों की परभक्षी अर्थशास्त्र नीतियों का भी शिकार हो सकता है। लिथियम के आलावा भी अन्य कई ऐसे खनिज हैं , जैसे के कोबाल्ट, जिनकी सप्लाई चेन पर प्रतिकूल राष्ट्रों ने अपना वर्चस्व बना रखा है।

भारत सरकार इस विषय पर गंभीरता से रणनीति बना कर सामना कर रही है। हाल के समय में भारत ने खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) नाम का एक विशेष जॉइंट वेंचर स्थापित किया है, जिसमें खनिज मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली नालको, हिंदुस्तान कॉपर और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड की भागीदारी है। इस कंपनी के माध्यम से भारत सरकार ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना से परस्पर संवाद और खनिजों को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रही है। गत महीने में काबिल से अर्जेंटीना में 5 लिथियम की खदानों की खरीद की अच्छी खबर भी मिली है, और आशा है के भारत और भी खदानों को प्राप्त कर पायेगा। ध्यान देने वाली बात यह है के अर्जेंटीना, बोलीविया और चीले विश्व में सर्वाधिक लिथियम का उत्पादन करने वाले राष्ट्र हैं, जो चीन को बड़े स्तर पर लिथियम निर्यात करते हैं। ऐसे में विदेश नीति को आर्थिक नीति के साथ संलिप्त कर भारत को अपने हितों की आपूर्ति करने के लिए और स्फूर्ति से ऑस्ट्रेलिया जैसे मित्र देशों के साथ प्रक्रिया को गतिशील करना होगा।

इस तरह आयात सुनिश्चित करने की रणनीति भारत के लिए अत्यावश्यक है। बीते समय में भारत में लिथियम की खोज की घोषणाएं हुई हैं, लेकिन वह अभी भी पूर्णतः सिद्ध नहीं हुई हैं। प्रमाणित होने के बाद भी खनिज उत्पादन तक की यात्रा में बहुत समय है, क्योंकि भारत के पास न ही खनन की तकनीक से लैस कम्पनियाँ है, न ही खनन पश्चात् रिफाइनिंग की क्षमता है। ऐसे में भारत की इन संभावित संसाधनों की नीलामी प्रक्रिया में शोध, खोज और उत्पादन को तत्काल प्राथमिकता देना भारत के पक्ष में होगा।इसके लिए यह आवश्यक है के खनिज शोध और खोज से सम्बंधित प्रक्रिया का सरलीकरण निति का मुख्य बिंदु बने।

इसके अलावा लिथियम की अधिक से अधिक रीसाइक्लिंग पर भी बल देना पड़ेगा। लिथियम की विशेषता यह है के रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया में बहुत ही अधिक लाभ प्राप्त होता है। वैश्विक स्तर पर रीसाइक्लिंग के अलावा कचरे से अर्बन माइनिंग की प्रक्रिया भी अब प्रचलित होने लगी है। दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कोलम्बिआ जैसे देशों में यह रीसाइक्लिंग की तकनीक अत्याधिक प्रसिद्द हो रही है, और इससे उत्पन्न होते फायदों को देख यह कहना उचित रहेगा के भारत सरकार भी राज्य सरकारों के साथ मिल कर इस तकनीक को नीति का सम्बल दे।

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती संख्या के चलते नवीन तकनीकों से सम्बंधित कई नए अवसर पैदा कर रहा है। लेकिन इसके साथ ही गाड़ियों को चलाने वाली बैटरियों के उत्पादन को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। लिथियम जैसे विशिष्ट खनिजों के लिए आयात पर निर्भरता विशेष रूप से कई अनोखी चुनौतियां उत्पादकों के समक्ष खड़ी हो चली हैं। ऐसे में भारत सरकार की इन चुनौतियों से जूझने की रणनीति का उचित होना अनिवार्य है। आयात सुरक्षा, स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा, और नवीन तकनीकों से सम्बंधित भारत में खनिज नीति को सम्बल देने से कई समस्याओं की व्यापकता को घटाया जा सकता है।

रोहित पठानिया
(लेखक स्कॉलर एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)